प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने से आहत एससी व एसटी वर्ग के कर्मचारियों के जख्मों पर आखिरकार त्रिवेंद्र सरकार ने सीधी भर्ती के पुराने रोस्टर और बैकलाग के मरहम लगाने का प्रयास किया।
बुधवार को जनरल ओबीसी कर्मचारियों की मांग पर प्रमोशन से रोक हटाने के बाद बृहस्पतिवार को कैबिनेट ने आरक्षित वर्ग के हक में बड़ा फैसला लिया। सरकारी पदों पर सीधी भर्ती रोस्टर में पहला पद अब गैर आरक्षित की जगह आरक्षित वर्ग को दिया गया है।
सीधी भर्ती आरक्षण रोस्टर पर कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता वाली उप समिति ने बृहस्पतिवार को अपनी रिपोर्ट मंत्रिमंडल के समक्ष रखी। सरकार ने भर्ती रोस्टर में पहले पांच पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित कर दिए थे, जबकि आरक्षित वर्ग के लिए छठा पद रखा था। इसको लेकर आरक्षित वर्ग ने विरोध जताया। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने भी इसका विरोध किया।
इसके बाद सरकार ने दूसरी उपसमिति बनाई। इस उपसमिति में यशपाल आर्य और रेखा आर्य भी थी। उपसमिति ने रिपोर्ट दी कि पहला पद आरक्षित वर्ग के लिए होना चाहिए। मंत्रिमंडल ने इसे स्वीकार कर लिया है। माना जा रहा है कि प्रमोशन में आरक्षण समाप्त होने से नाराज आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को साधने के लिए सरकार ने रोस्टर व्यवस्था में बदलाव किया है।
बुधवार को जनरल ओबीसी कर्मचारियों की मांग पर प्रमोशन से रोक हटाने के बाद बृहस्पतिवार को कैबिनेट ने आरक्षित वर्ग के हक में बड़ा फैसला लिया। सरकारी पदों पर सीधी भर्ती रोस्टर में पहला पद अब गैर आरक्षित की जगह आरक्षित वर्ग को दिया गया है।
सीधी भर्ती आरक्षण रोस्टर पर कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता वाली उप समिति ने बृहस्पतिवार को अपनी रिपोर्ट मंत्रिमंडल के समक्ष रखी। सरकार ने भर्ती रोस्टर में पहले पांच पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित कर दिए थे, जबकि आरक्षित वर्ग के लिए छठा पद रखा था। इसको लेकर आरक्षित वर्ग ने विरोध जताया। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने भी इसका विरोध किया।
इसके बाद सरकार ने दूसरी उपसमिति बनाई। इस उपसमिति में यशपाल आर्य और रेखा आर्य भी थी। उपसमिति ने रिपोर्ट दी कि पहला पद आरक्षित वर्ग के लिए होना चाहिए। मंत्रिमंडल ने इसे स्वीकार कर लिया है। माना जा रहा है कि प्रमोशन में आरक्षण समाप्त होने से नाराज आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को साधने के लिए सरकार ने रोस्टर व्यवस्था में बदलाव किया है।
बैक लाग के पद भरने को चलेगा अभियान, आदेश जारी
कैबिनेट ने कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की सिफारिश पर सीधी भर्ती के नए रोस्टर को खत्म कर पुराना रोस्टर लागू करने का फैसला लिया। इधर, फैसला हुआ और कुछ ही घंटों में कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने इसके आदेश जारी कर दिए। इतना ही नहीं कार्मिक विभाग ने सभी राजकीय सेवाओं में लोकसेवा आयोग के दायरे में आने वाले सीधी भर्ती के आरक्षित पदों के बैकलाग को भरने के लिए विशेष भर्ती अभियान चलाने के आदेश भी दिए।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव की चुनौती का सामना कर रही प्रदेश सरकार ने जनरल ओबीसी कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल तुड़वाने के लिए प्रमोशन पर लगी रोक हटा दी। प्रमोशन में आरक्षण को लेकर अदालत की रोक के चलते प्रदेश सरकार ने प्रमोशन पर रोक लगा रखी थी। प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने से जहां जनरल ओबीसी कर्मचारियों के चेहरे खिल उठे तो एससी एसटी कर्मचारी भड़क गए। उनकी नाराजगी को कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने 12 घंटे के अंदर आरक्षित वर्ग को खुश करने के लिए दो अहम फैसले लिए।
जनरल ओबीसी कर्मचारियों के विरोध के बावजूद प्रदेश सरकार ने सीधी भर्ती के पदों पर पुराना रोस्टर लागू कर दिया। 11 सितंबर 2019 को प्रदेश सरकार ने जो नया रोस्टर जारी किया था, उसमें पहला पद सामान्य वर्ग के लिए रखा गया था। पहले पद से अनुसूचित जाति को हटाकर उसे छठे स्थान पर और अनुसूचित जनजाति को 24 वें से 25वें स्थान पर कर दिया था। इससे आरक्षित वर्ग के कर्मचारी उद्वेलित थे और उन्होंने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा था।
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव की चुनौती का सामना कर रही प्रदेश सरकार ने जनरल ओबीसी कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल तुड़वाने के लिए प्रमोशन पर लगी रोक हटा दी। प्रमोशन में आरक्षण को लेकर अदालत की रोक के चलते प्रदेश सरकार ने प्रमोशन पर रोक लगा रखी थी। प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने से जहां जनरल ओबीसी कर्मचारियों के चेहरे खिल उठे तो एससी एसटी कर्मचारी भड़क गए। उनकी नाराजगी को कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने 12 घंटे के अंदर आरक्षित वर्ग को खुश करने के लिए दो अहम फैसले लिए।
जनरल ओबीसी कर्मचारियों के विरोध के बावजूद प्रदेश सरकार ने सीधी भर्ती के पदों पर पुराना रोस्टर लागू कर दिया। 11 सितंबर 2019 को प्रदेश सरकार ने जो नया रोस्टर जारी किया था, उसमें पहला पद सामान्य वर्ग के लिए रखा गया था। पहले पद से अनुसूचित जाति को हटाकर उसे छठे स्थान पर और अनुसूचित जनजाति को 24 वें से 25वें स्थान पर कर दिया था। इससे आरक्षित वर्ग के कर्मचारी उद्वेलित थे और उन्होंने सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा था।